वो शमा क्या बुझे जिसे रौशन खुदा करे...

मैं 18 स्वर्ण पदक जीतने वाली तैराक (नताले डू टॉएट) हूँ। मेरा सिर्फ एक पैर सलामत है। ओलंपिक और कॉमनवेल्थ खेलों में अपने खेल का लोहा मनवाने के बाद अब मैं 2012 में लंदन में होने जा रहे ओलंपिक की तैयारियों में जुटी हूँ। वह 25 फरवरी, 2001 की सुबह थी, जब मैंने अपना बायां पैर केपटाउन (दक्षिण अफ्रीका) में एक कार एक्सीडेंट में खो दिया। मैं हर रोज की तरह अपने स्कूटर पर तैराकी की प्रैक्टिस के लिए स्कूल जा रही थी। एक कार ने मेरे स्कूटर को टक्कर मारी और मेरा बायां पैर टूट गया। पैर की हड्डियां और मांसपेशियां कुछ इस तरह कार से कुचल गईं, जिन्हें जोड़ पाने में डॉक्टर भी असमर्थ थे। हादसे के सातवें दिन डॉक्टरों ने मेरा पांव घुटने से काट दिया था। चौदह बरस की उम्र में मैंने उस पांव को खो दिया, जिसकी मेरी जिंदगी और तैराकी में भी खासी अहमियत थी। इससे पहले क्वालालांपुर में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स (1998) में मैं तैराक के तौर पर भाग ले चुकी थी। ...लेकिन मेरी आगे की कहानी एक नई शुरुआत के साथ बुनी जानी थी।
हादसे के बाद मैंने ढेर सारी मुश्किलों का सामना किया। कभी खुद को विकलांग नहीं समझा, लेकिन कदम-कदम पर जूझना पड़ा। अपने सामथ्र्य में जितना था मैंने किया। सिर्फ एक सपना पाला कि 'मैं सब कुछ कर सकती हूँ। सब कुछ करूंगी।' हादसे के पांच महीने बाद मैं वापस स्वीमिंग पूल में लौटी और सालभर बीतते-बीतते मैंने अपने आधे पांव को साथ लेकर तैरना सीख लिया। इसी समय मैनचेस्टर में हो रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में मैंने डिसेबल्ड स्विमर्स की श्रेणी में 50, 100 और 800 मीटर तैराकी में भाग लिया। यहीं मुझे 'डेविड डिक्सन अवॉर्ड' आउटस्टैंडिंग एथलीट ऑफ द गेम्स के तौर पर दिया गया। इंग्लैंड के विस्टा नोवा स्कूल के विकलांग बच्चों की मदद के लिए भी मैंने कई तैराकी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। जोहांसबर्ग में आयोजित इस प्रतियोगिता में 12-13 डिग्री ठंडे पानी और शार्क के बीच साढ़े सात किमी। तक तैराक को पानी में जूझना होता है। मैंने 7.5 किमी. की ओपन वॉटर स्विम को 1:35:45 घंटे में पूरा करके विश्व रिकॉर्ड भी बनाया है। 2003 के एफ्रो एशियन गेम्स में मुझे रजत और कांस्य पदक भी मिला है। फ्रीस्टाइल तैराकी की कॉमनवैल्थ और पैराओलंपिक प्रतियोगिताओं में भी मैं हिस्सा ले चुकी हूँ। 2006 में मैंने चौथी आईपीसी वल्र्ड स्विमिंग चैंपियनशिप में भी छह स्वर्ण पदक जीते। बीजिंग ओलंपिक (2008) में 10 किलोमीटर ओपन वॉटर स्विमिंग रेस में मैंने हिस्सा लिया और मैं सोलहवें नंबर पर रही। यहीं बीजिंग के पैराओलंपिक में मैंने पांच स्वर्ण पदक जीते।
दक्षिण अफ्रीका के ब्रॉडकास्ट कॉर्पोरेशन की ओर से कुछ समय पहले जारी टॉप 100 ग्रेट साउथ अफ्रीकंस की सूची में मुझे 48वां स्थान मिला। मुझे 2008 के समर ओलंपिक्स की ओपनिंग सेरेमनी में अपने देश का झंडा पकडऩे वाले खिलाड़ी के तौर पर भी चुना गया। अब मैं लंदन (2012) में होने जा रहे ओलंपिक की तैयारी में जुटी हूँ। जो दर्द और वक्त की मार मैंने झेली है वह आसानी से मुझे तोड़ सकती थी, लेकिन अब मेरा भरोसा और मजबूत हो गया है। अब मैं पूरे भरोसे के साथ कह सकती हूँ, 'अगर मैं सपना पूरा कर सकती हूँ, तो कोई भी कर सकता है।'
Share on Google Plus

About Publisher

12 comments:

Gyan Darpan said...

सलाम है इनकी हिम्मत और जज्बे को |

Rakesh Singh - राकेश सिंह said...

नताले डू टॉएट के जज्बे को सलाम करता हूँ |

इश्वार इन्हें नै ऊर्जा दें ...

अन्तर सोहिल said...

"अगर मैं सपना पूरा कर सकती हूँ, तो कोई भी कर सकता है।"

इनकी हिम्मत, हौसला और आत्मविश्वास एक मिसाल है
प्रणाम

Unknown said...

काबिले तारीफ़ है !!

प्रकाश पाखी said...

jajbe ko salaam!

Ashish Khandelwal said...

jazbe ko salaam

happy blogging :)

गंगू तेली said...

Praveen Bhaai,

Naresh Arya se suna to tha aapke baare me, Aaj dekh bhi li aapki Kaarigari....

Badhaai ho...

http://gangu-teli.blogspot.com

राजीव तनेजा said...

इनके जज़्बे और हिम्मत को सलाम...

अवधिया चाचा said...

aapki bhi himmat aur jazbe ko salam, hamare dhan ke desh men ghoomne zaroor aayiga.aapko sammanit kiya jayega..tujhe master ji ki kasam zaroor aana.

धान के देश में
http://dhankedeshmen.blogspot.com/

Mohammed Umar Kairanvi said...

ठीक कहा वह शामा क्‍या बुझे जिसे रौशन खुदा करे, परन्‍तु वह संगीत तो बज रहा है, जिसे आपने बजाना छोड दिया था उसका किया हुआ, आपको 7 जवाब मिल गये कि नहीं, मेरा मतलब आपको कबूल हैं तो बताओ ना कबूल हो तो बताओ, अपन तो दोनों तरह साथ हैं, सदैव

आपके मिल गये हों तो फिर मैं अपने सवालों की मांग के लिये किसी ब्लाग पर लिख दूं मैं 7 दिनों के लिये मौन रख रहा हूं, आपसे क्‍या छुपा बडे महान लोग अपना कहा मानते हैं,
हालांकि 1 का तो मुझे पता है यह लिखकर हनीमून पर गया है, मुझे नहीं बुलाया इस लिये यहां लिख रहा हूं (अनुमान से)

शरद कोकास said...

प्रवीण भाई मै तो नतमस्तक हूँ ।

Randhir Singh Suman said...

दीपावली, गोवर्धन-पूजा और भइया-दूज पर आपको ढेरों शुभकामनाएँ!