मेरी रेस खुद से है

हम सलामत होकर भी कोई अहम काम जिंदगी में करने का जोखिम नहीं उठाते। कुछ लोग अधूरे होकर भी अधूरेपन के एहसास को हौसलों के बूते भुला देते हैं। कुछ समय पहले रविवारीय में लगातार दो साल तक चले कॉलम मेरा संघर्ष में ऐसे कई लोगों के बारे में मैंने लिखा। इसी दौरान जेसिका कॉक्स की जानकारी भी मिली। पत्रिका के ही परिवार परिशिष्ट में यह आलेख हाल ही प्रकाशित हुआ। प्रकाशन के बाद बड़ी संख्या में मुझे इस आलेख को लेकर रेस्पॉन्स मिला। कहीं जेसिका का हौसला सिमट कर न रह जाए, यह पोस्ट ब्लॉग पर डाली है।

एरिजोना (अमरीका) की जेसिका कॉक्स, पहली ऐसी महिला हैं, जिन्हें पैरों से विमान उड़ाने की अनुमति मिली है।

इस आलेख को विस्तार से पढऩे के लिए तस्वीर पर क्लिक करें।

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3 comments:

आशीष खण्डेलवाल (Ashish Khandelwal) said...

bahut achche...

Suchita Maheshwari said...

its amazing ....ko pairo se bhi eisa kaam kar sakta hai..
good work...

Shamikh Faraz said...

aap aik khoji patrakar hain to mere blog se sambandhit agar kuchh mile to mujhe zaroor bhejen. mera blog un logo ke lie hai jo zindagi me hare na ho aur kuchh kar dikhaya ho. isi se ambandhit agar kisi insan ki koi ghatna ho to mujhe bhejn. agar aap kavita likhne me intrested ho to koi prerna se bhari kavita bhej. dhanyavaad